Not known Details About Shiv chaisa
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अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।
Glory to Girija’s consort Shiva, that is compassionate into the destitute, who usually shields the saintly, the moon on whose forehead sheds its attractive lustre, and in whose ears are definitely the pendants with more info the cobra hood.
करत कृपा सब के घटवासी ॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
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